स्वतंत्रता दिवस विशेष: 'नया भारत' का संकल्प, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की नई उड़ान
स्वतंत्रता दिवस विशेष: 'नया भारत' का संकल्प, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की नई उड़ान
कल, 15 अगस्त को, प्रधानमंत्री मोदी 'नया भारत' की थीम पर आधारित स्वतंत्रता दिवस समारोह में बारहवीं बार लाल किले से तिरंगा फहराएंगे। इस साल के जश्न का एक खास पहलू है 'ऑपरेशन सिंदूर', जिसने भारतीय रक्षा शक्ति और हमारे स्वदेशी हथियारों की क्षमता को दुनिया के सामने रखा है। आइए समझते हैं कि कैसे भारत का रक्षा क्षेत्र, 'स्वदेशी के संकल्प' के साथ एक नया अध्याय लिख रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर: स्वदेशी हथियारों का शक्ति प्रदर्शन
हाल ही में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' ने यह साबित कर दिया है कि भारत के स्वदेशी हथियार बड़े ही असरदार हैं। इस ऑपरेशन में 'आकाश' एयर डिफेंस सिस्टम, 'नागास्त्र-1' सुसाइड ड्रोन, 'स्काईस्ट्राइकर' ड्रोन, एंटी-ड्रोन डी-4 सिस्टम और 'ब्रह्मोस' मिसाइल जैसे स्वदेशी प्रणालियों ने अहम भूमिका निभाई। इन सफलताओं ने भारत को रक्षा क्षेत्र में एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है।
रक्षा बजट और स्वदेशी खरीद में भारी उछाल
पिछले एक दशक में भारत के रक्षा बजट में लगातार बढ़ोतरी हुई है। 2013-14 में यह ₹2.53 लाख करोड़ था, जो 2025-26 में बढ़कर ₹6.81 लाख करोड़ हो गया है। इस दौरान, 'स्वदेशी' पर जोर देने के कारण घरेलू कंपनियों को भी बड़ा प्रोत्साहन मिला है। वर्ष 2025 में दिए गए कुल 193 डिफेंस ऑर्डर्स (जिनकी कुल कीमत ₹2.1 लाख करोड़ थी) में से 90% से ज्यादा की खरीद घरेलू कंपनियों से की गई थी। आज भारत अपनी 65% रक्षा सामग्री घरेलू कंपनियों से ही खरीद रहा है, जो आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को दर्शाता है।
निर्यात में रिकॉर्ड बढ़ोतरी और भविष्य के लक्ष्य
भारत ने अपने डिफेंस एक्सपोर्ट में भी अभूतपूर्व वृद्धि हासिल की है। वित्तीय वर्ष 2014 में जहां यह आंकड़ा मात्र ₹700 करोड़ था, वहीं वित्तीय वर्ष 2025 में यह बढ़कर ₹24,000 करोड़ हो गया है, जो 34 गुना की शानदार बढ़ोतरी है। 'आकाश', 'ब्रह्मोस', 'तेजस' और 'पिनाका' जैसे भारत में बने हथियार दुनिया भर में अपनी धाक जमा रहे हैं।
भारत ने 2030 तक ₹3 लाख करोड़ के डिफेंस प्रोडक्शन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जिसमें से ₹50,000 करोड़ के निर्यात का टारगेट है। ये आंकड़े इस बात का सबूत हैं कि भारत का रक्षा क्षेत्र एक नए युग में प्रवेश कर रहा है, जहां 'स्वदेशी' सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक हकीकत बन चुका है।
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