HDFC बैंक के 4 अधिकारियों पर EOW में शिकायत: क्रेडिट सुइस के AT-1 बॉन्ड की 'गलत बिक्री' का गंभीर आरोप!
HDFC बैंक के 4 अधिकारियों पर EOW में शिकायत: क्रेडिट सुइस के AT-1 बॉन्ड की 'गलत बिक्री' का गंभीर आरोप!
HDFC बैंक के लिए मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। एक हाई नेट-वर्थ इंडिविजुअल (HNI) ने बैंक के चार अधिकारियों के खिलाफ क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) के एडिशनल टियर-1 (AT-1) बॉन्ड की 'मिससेलिंग' यानी गलत तरीके से बिक्री का आरोप लगाते हुए आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की नागपुर ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई है। मनीकंट्रोल ने इस शिकायत की एक कॉपी देखी है।
शिकायतकर्ता का नाम नरेंद्र सिंगरू है, जो एशियन डेवलपमेंट बैंक में सीनियर एडवाइजर हैं। उन्होंने AK एंड पार्टनर्स नामक एक लॉ फर्म के माध्यम से यह शिकायत दर्ज कराई है। बताया जा रहा है कि यह लॉ फर्म भविष्य में क्रेडिट सुइस AT-1 बॉन्ड के अन्य पीड़ित धारकों की तरफ से भी इसी तरह की शिकायतें दर्ज करा सकती है।
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया, "इस मामले में चंडीगढ़ और गुड़गांव में और शिकायतें दर्ज होने की संभावना है।" नागपुर पुलिस की EOW शाखा ने शिकायतकर्ता को पूछताछ के लिए उपस्थित होने को कहा है। हालांकि, HDFC बैंक ने साफ किया है कि उसे अभी तक इस मुद्दे पर कोई समन नहीं मिला है।
किन निवेशकों का नाम आया सामने?
नरेंद्र सिंगरू के अलावा, तीन अन्य पीड़ित निवेशकों का भी इसमें नाम सामने आ रहा है:
अशुतोष तिवारी: MTN गिनी बिसाऊ के सीईओ (वर्तमान में साउथ अफ्रीका में रहते हैं)।
पंकज सिन्हा: कोका कोला के सीनियर डायरेक्टर।
वरुण महाजन: GARAVA इन्वेस्टमेंट एंड कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर और डायरेक्टर (वर्तमान में दुबई में रहते हैं)।
बताया जाता है कि इन चारों निवेशकों ने HDFC बैंक की ओर से बेचे गए क्रेडिट सुइस के AT-1 बॉन्ड में कुल लगभग ₹20 से ₹25 करोड़ का निवेश किया था। सूत्रों के अनुसार, इन निवेशकों को 10 से 13% रिटर्न का वादा किया गया था।
AT-1 बॉन्ड और 'मिससेलिंग' का आरोप
एडिशनल टियर-1 बॉन्ड को आमतौर पर उच्च जोखिम (high risk) और उच्च रिटर्न (high return) वाला निवेश माना जाता है। इन्हें समझदारी से चुनने की आवश्यकता होती है और बैंक की जिम्मेदारी होती है कि निवेशकों को इनके जोखिमों की पूरी जानकारी दी जाए। हालाँकि, इन निवेशकों का दावा है कि HDFC बैंक ने इन बॉन्ड्स को बेचते समय इससे जुड़े जोखिमों का पूरा खुलासा नहीं किया और उन्हें गैर-पारदर्शी तरीके से बेच दिया गया।
यह आरोप, अगर साबित होते हैं, तो यह HDFC बैंक की बिक्री प्रक्रियाओं और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करेगा।
UAE में भी बढ़ सकती है जांच
दुबई के एक अंग्रेजी अखबार, खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, HDFC बैंक को UAE में भी नियामक जांच का सामना करना पड़ सकता है। यह जांच खास तौर पर NRI (अनिवासी भारतीय) और हाई नेट वर्थ निवेशकों को एडिशनल टियर-1 बॉन्ड बेचने के तरीके को लेकर हो सकती है। इस मामले में कई मोर्चों पर जांच और कानूनी कार्रवाई की संभावना है, जिससे HDFC बैंक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
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