ग्रे मार्केट का बढ़ता क्रेज़: NSE, HDB Financial में निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान!
ग्रे मार्केट का बढ़ता क्रेज़: NSE, HDB Financial में निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान!
आईपीओ बाजार में कई महीनों की सुस्ती के बाद अब फिर से रौनक लौट आई है। बीते कुछ हफ्तों में कई बड़ी और SME कंपनियों के पब्लिक इश्यू आए हैं, जिससे ग्रे मार्केट में भी हलचल तेज हो गई है। खासकर NSE, हीरो फिनकॉर्प (Hero Fincorp) और HDB फाइनेंशियल (HDB Financial) जैसी कंपनियों के अनलिस्टेड शेयरों की कीमतों में निवेशकों की दिलचस्पी तेजी से बढ़ी है। पिछले महीने तो NSE के अनलिस्टेड शेयर की कीमत ₹2,300 की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। इस उछाल की मुख्य वजह इन तीनों कंपनियों के संभावित आईपीओ को लेकर बढ़ी हुई अटकलें हैं।
अगर आप भी ग्रे मार्केट के इस रुझान को देखकर इन शेयरों में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो रुकिए! विशेषज्ञों की सलाह है कि जल्दबाज़ी करने से पहले कुछ अहम बातों को समझना बेहद ज़रूरी है।
ग्रे मार्केट: लिस्टिंग गेन का 'पहला संकेत'
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ग्रे मार्केट में अनलिस्टेड शेयरों की बढ़ती कीमतें इस बात का संकेत देती हैं कि निवेशकों की नज़रें उनके आने वाले आईपीओ पर टिकी हैं। वेल्थ विजडम इंडिया के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्णा पटवारी कहते हैं, "निवेशक लिस्टिंग पर मुनाफ़ा कमाने के लिए ग्रे मार्केट में शेयरों में निवेश कर रहे हैं।" अनलिस्टेड शेयरों की कीमतों का ट्रेंड उस शेयर की डिमांड और सप्लाई की स्थिति के साथ-साथ बाजार के सेंटिमेंट (निवेशक भावना) को भी दर्शाता है।
NSE के शेयर: ₹2,300 की रिकॉर्ड ऊंचाई पर
ग्रे मार्केट में अनलिस्टेड स्टॉक की कीमतों में दिख रहा प्रीमियम अक्सर यह संकेत देता है कि उस शेयर की लिस्टिंग कितने प्रीमियम पर हो सकती है। हालांकि, इस पर आँख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता। दरअसल, जब किसी स्टॉक की सप्लाई डिमांड के मुकाबले कम होती है, तो उसकी कीमतों में उछाल दिखता है। NSE के शेयरों में ठीक ऐसी ही स्थिति दिख रही है। 1 मई को NSE के शेयर की कीमत ₹1,600 थी, जो 31 मई तक बढ़कर ₹2,375 पर पहुंच गई। यह बताता है कि इस स्टॉक को लेकर बाजार में बेहद मजबूत सेंटिमेंट है।
निवेश से पहले 'सावधान' रहना ज़रूरी: एक्सपर्ट्स की सलाह
ग्रे मार्केट का प्रीमियम भले ही आकर्षक लगे, लेकिन एक्सपर्ट्स रिटेल निवेशकों को इसमें जल्दबाजी न करने की सलाह देते हैं। वे कहते हैं कि निवेश से पहले कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए:
लिक्विडिटी (Liquidity): ग्रे मार्केट में खरीदे गए शेयरों को बेचना उतना आसान नहीं होता जितना लिस्टेड शेयरों को। लिक्विडिटी कम होने के कारण ज़रूरत पड़ने पर आप अपने शेयरों को तुरंत बेच नहीं सकते।
लॉक-इन पीरियड (Lock-in Period): प्री-आईपीओ निवेशकों के लिए अक्सर 6 महीने का लॉक-इन पीरियड होता है, जिसका मतलब है कि वे आईपीओ लिस्टिंग के तुरंत बाद अपने शेयर बेच नहीं पाएंगे। यह उन निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु है जो त्वरित लाभ की तलाश में हैं।
वैल्यूएशन (Valuation): ग्रे मार्केट की कीमतें हमेशा कंपनी के वास्तविक फंडामेंटल या उचित वैल्यूएशन को नहीं दर्शातीं। डिमांड बढ़ने पर कीमतें अवास्तविक रूप से ऊपर जा सकती हैं।
बिजनेस रिस्क (Business Risk): किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले उसके बिजनेस मॉडल, भविष्य की संभावनाओं और उससे जुड़े जोखिमों को समझना बेहद ज़रूरी है। सिर्फ ग्रे मार्केट प्रीमियम देखकर निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है।
संक्षेप में, ग्रे मार्केट एक संकेत हो सकता है, लेकिन यह कोई गारंटी नहीं है। निवेशकों को हमेशा रिसर्च, धैर्य और सावधानी के साथ निवेश करना चाहिए, खासकर अनलिस्टेड या प्री-आईपीओ शेयरों में।
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