JNPT में ₹800 करोड़ का 'ड्रेजिंग घोटाला': CBI जांच के घेरे में पूर्व बंदरगाह अधिकारी और निजी कंपनियाँ!
JNPT में ₹800 करोड़ का 'ड्रेजिंग घोटाला': CBI जांच के घेरे में पूर्व बंदरगाह अधिकारी और निजी कंपनियाँ!
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने देश के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) में हुए एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। इस मामले में JNPT के पूर्व मुख्य प्रबंधक, कई निजी कंपनियों और व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। आरोप है कि एक प्रमुख ड्रेजिंग प्रोजेक्ट में कथित अनियमितताओं के कारण जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (JNPA) को ₹800 करोड़ रुपये से अधिक का भारी नुकसान हुआ है।
ANI की एक रिपोर्ट के अनुसार, 18 जून को दर्ज किए गए इस मामले में मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह (Nhava Sheva port) पर Navigation Channel को गहरा करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट देने और उसे पूरा करने के दौरान JNPA अधिकारियों और निजी संस्थाओं के बीच आपराधिक साजिश रचने के गंभीर आरोप हैं।
कैसे हुआ ₹800 करोड़ का नुकसान?
सीबीआई के अनुसार, यह विवादित कॉन्ट्रैक्ट दो निजी कंपनियों को मिलाकर दिया गया था, जिनमें से एक मुंबई और दूसरी चेन्नई की कंपनी है। इन कंपनियों को यह काम 'कैपिटल ड्रेजिंग प्रोजेक्ट' के लिए दिया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य बड़े जहाजों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए चैनल की गहराई बढ़ाना था। एक निजी कंसल्टिंग फर्म ने इस project को पूरा करने के दौरान JNPA के लिए परियोजना प्रबंधन सलाहकार (project management consultant) के रूप में काम किया।
सीबीआई ने अपने बयान में बताया कि धोखाधड़ी का तरीका कुछ इस प्रकार था:
चरण-1 में अत्यधिक भुगतान: "यह आरोप लगाया गया था कि प्रोजेक्ट के चरण-1 में ड्रेज्ड channel के रखरखाव के दौरान, जेएनपीए ने ओवर-ड्रेजिंग के दावों के आधार पर ठेकेदारों को ₹365.90 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान किया।"
चरण-2 में भी अतिरिक्त भुगतान, जबकि पहले में नहीं हुआ 'ओवर-ड्रेजिंग': "वहीं चरण-2 में, अतिरिक्त ₹438 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि रिकॉर्ड में दिखाया गया था कि पहले चरण में कोई ओवर-ड्रेजिंग नहीं हुई थी।"
ये आरोप दर्शाते हैं कि बिना वास्तविक कार्य के, या झूठे दावों के आधार पर ठेकेदारों को करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
CBI की छापेमारी और जांच का दायरा:
इस घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद, सीबीआई की टीमों ने मुंबई और चेन्नई में पांच स्थानों पर ताबड़तोड़ छापे मारकर तलाशी अभियान चलाया। इन स्थानों में जेएनपीए अधिकारियों के घर, कंसल्टिंग फर्म के कार्यालय और आरोपी निजी कंपनियों के ठिकाने शामिल हैं।
एजेंसी ने बताया कि छापेमारी के दौरान प्रोजेक्ट से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल साक्ष्य और आरोपी पब्लिक सर्वेंट्स द्वारा किए गए निवेश के रिकॉर्ड भी बरामद किए गए हैं। इस मामले की गहन जांच जारी है और सीबीआई इस बड़ी अनियमितता के पीछे के सभी पहलुओं को खंगाल रही है। यह घोटाला बंदरगाहों में होने वाले बड़े प्रोजेक्ट्स में पारदर्शिता और निगरानी की आवश्यकता को एक बार फिर रेखांकित करता है।
JNPT में ₹800 करोड़ का 'ड्रेजिंग घोटाला': CBI जांच के घेरे में पूर्व बंदरगाह अधिकारी और निजी कंपनियाँ!
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने देश के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) में हुए एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। इस मामले में JNPT के पूर्व मुख्य प्रबंधक, कई निजी कंपनियों और व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। आरोप है कि एक प्रमुख ड्रेजिंग प्रोजेक्ट में कथित अनियमितताओं के कारण जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (JNPA) को ₹800 करोड़ रुपये से अधिक का भारी नुकसान हुआ है।
ANI की एक रिपोर्ट के अनुसार, 18 जून को दर्ज किए गए इस मामले में मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह (Nhava Sheva port) पर नेवीगेशन चैनल को गहरा करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट देने और उसे पूरा करने के दौरान JNPA अधिकारियों और निजी संस्थाओं के बीच आपराधिक साजिश रचने के गंभीर आरोप हैं।
कैसे हुआ ₹800 करोड़ का नुकसान?
सीबीआई के अनुसार, यह विवादित कॉन्ट्रैक्ट दो निजी कंपनियों को मिलाकर दिया गया था, जिनमें से एक मुंबई और दूसरी चेन्नई की कंपनी है। इन कंपनियों को यह काम 'कैपिटल ड्रेजिंग प्रोजेक्ट' के लिए दिया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य बड़े जहाजों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए चैनल की गहराई बढ़ाना था। एक निजी कंसल्टिंग फर्म ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के दौरान JNPA के लिए परियोजना प्रबंधन सलाहकार (project management consultant) के रूप में काम किया।
सीबीआई ने अपने बयान में बताया कि धोखाधड़ी का तरीका कुछ इस प्रकार था:
चरण-1 में अत्यधिक भुगतान: "यह आरोप लगाया गया था कि प्रोजेक्ट के चरण-1 में ड्रेज्ड चैनलों के रखरखाव के दौरान, जेएनपीए ने ओवर-ड्रेजिंग के दावों के आधार पर ठेकेदारों को ₹365.90 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान किया।"
चरण-2 में भी अतिरिक्त भुगतान, जबकि पहले में नहीं हुआ 'ओवर-ड्रेजिंग': "वहीं चरण-2 में, अतिरिक्त ₹438 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि रिकॉर्ड में दिखाया गया था कि पहले चरण में कोई ओवर-ड्रेजिंग नहीं हुई थी।"
ये आरोप दर्शाते हैं कि बिना वास्तविक कार्य के, या झूठे दावों के आधार पर ठेकेदारों को करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
CBI की छापेमारी और जांच का दायरा:
इस घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद, सीबीआई की टीमों ने मुंबई और चेन्नई में पांच स्थानों पर ताबड़तोड़ छापे मारकर तलाशी अभियान चलाया। इन स्थानों में जेएनपीए अधिकारियों के घर, कंसल्टिंग फर्म के कार्यालय और आरोपी निजी कंपनियों के ठिकाने शामिल हैं।
एजेंसी ने बताया कि छापेमारी के दौरान प्रोजेक्ट से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल साक्ष्य और आरोपी पब्लिक सर्वेंट्स द्वारा किए गए निवेश के रिकॉर्ड भी बरामद किए गए हैं। इस मामले की गहन जांच जारी है और सीबीआई इस बड़ी अनियमितता के पीछे के सभी पहलुओं को खंगाल रही है। यह घोटाला बंदरगाहों में होने वाले बड़े प्रोजेक्ट्स में पारदर्शिता और निगरानी की आवश्यकता को एक बार फिर रेखांकित करता है।
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