IPO की 'जून वर्षा' पर एक्सपर्ट्स की चेतावनी: ₹19,000 करोड़ के 38 आईपीओ ने मचाई धूम, पर निवेशकों को क्यों रहना चाहिए सतर्क?
IPO की 'जून वर्षा' पर एक्सपर्ट्स की चेतावनी: ₹19,000 करोड़ के 38 आईपीओ ने मचाई धूम, पर निवेशकों को क्यों रहना चाहिए सतर्क?
जून महीना केवल मानसूनी बारिश के लिए ही नहीं, बल्कि भारतीय शेयर बाजार में आईपीओ की धमाकेदार 'बारिश' के लिए भी याद किया जाएगा! इस महीने मेनबोर्ड (BSE और NSE) और SME सेगमेंट, दोनों में ही अप्रत्याशित रौनक देखने को मिली। जहाँ मेनबोर्ड पर आठ कंपनियों के कुल ₹17,688 करोड़ के आईपीओ आए, जो पिछले छह महीने में सबसे अधिक है, वहीं SME सेगमेंट में 30 कंपनियों ने लगभग ₹1329 करोड़ जुटाए, जो नौ महीने का उच्चतम स्तर है।
हालांकि, इस आईपीओ की बहार पर बाजार विश्लेषक (एनालिस्ट्स) निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। उनकी चिंता यह है कि यदि कोई भी बड़ा आईपीओ लिस्टिंग के दिन कमजोर प्रदर्शन करता है, तो इसका असर पूरे सेकंडरी मार्केट के सेंटिमेंट पर पड़ सकता है और रौनक फीकी पड़ सकती है। इस महीने आईपीओ की भारी संख्या के बावजूद, निवेशकों का रिस्पांस हमेशा जबरदस्त नहीं रहा, क्योंकि कंपनियों के उच्च मूल्यांकन (over-valuation) और कमजोर कमाई की संभावनाओं (weak earnings prospects) से जुड़ी चिंताओं ने निवेशकों को प्रभावित किया।
जून में आए प्रमुख IPOs:
इस जून महीने में आए कुछ बड़े मेनबोर्ड आईपीओ में शामिल हैं:
HDB फाइनेंशियल सर्विसेज (HDB Financial Services): ₹12,500 करोड़ का सबसे बड़ा आईपीओ।
कल्पतरू प्रोजेक्ट्स (Kalpataru Projects): ₹1,590 करोड़ का आईपीओ।
ओसवाल पम्प्स (Oswal Pumps): ₹1,387 करोड़ का आईपीओ।
इसके अलावा, एलेनबैरी इंडस्ट्रियल गैसेज, संभव स्टील ट्यूब्स और एरिसइंफ्रा सॉल्यूशंस के भी आईपीओ आए।
SME सेगमेंट में भी कई आईपीओ ने बाजार में प्रवेश किया, जिनमें कुछ प्रमुख हैं:
सेफ एंटरप्राइजेज रिटेल फिक्सचर्स (₹161 करोड़)
पुष्पा ज्वैलर्स (₹94 करोड़)
मोनोलिथिक इंडिया (₹82 करोड़)
नीतू योशी (₹74 करोड़)
पाटिल ऑटोमेशन (₹66 करोड़)
सचीरोम (₹58 करोड़)
सेडार टेक्सटाइल्स (₹58 करोड़)
इनफ्लक्स हेल्थकेट (₹56 करोड़)
आईपीओ मार्केट को लेकर एनालिस्ट्स का क्या है रुझान?
च्वाइस ब्रोकिंग के सीनियर एनालिस्ट राजनाथ यादव का कहना है कि बाजार नियामक सेबी (SEBI) द्वारा नियामकीय टाइमलाइन फिक्स किए जाने के चलते ही आईपीओ मार्केट में यह रौनक बढ़ी है। इसके चलते कंपनियाँ फटाफट मंजूरी मिलने के बाद अपने आईपीओ तुरंत लाने लगीं, ताकि उन्हें फिर से आईपीओ का ड्राफ्ट फाइल करने की जरूरत न पड़े।
उन्होंने यह भी बताया कि अधिकतर आईपीओ नए शेयरों के लिए थे, जिसका मतलब था कि कंपनियों को पूंजी की तत्काल जरूरत थी और इसे अधिक टाला नहीं जा सकता था।
इससे पहले, इस साल 2025 की शुरुआत में कमजोर सेंटिमेंट और बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के कारण आईपीओ मार्केट की रौनक फीकी पड़ गई थी। सेबी से मंजूरी मिलने के बावजूद कुछ कंपनियों ने बाजार की बेहतर स्थिति आने का इंतजार किया और अपने आईपीओ को टाल दिया था। अब महंगाई की नरमी और विदेशी निवेशकों (FIIs) की फिर से वापसी ने माहौल को बेहतर किया है, जिससे कंपनियों को अपने आईपीओ लॉन्च करने का भरोसा मिला है।
निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे 'आईपीओ की बारिश' में आँख मूंदकर निवेश न करें, बल्कि कंपनियों के फंडामेंटल्स, वैल्यूएशन और भविष्य की संभावनाओं का गहन विश्लेषण करने के बाद ही कोई निर्णय लें।
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