ज़िरोधा के नितिन कामत का 'ब्रोकरेज इनसाइट': इंडस्ट्री का 'कड़वा सच' और सबसे बड़ा जोखिम क्या है?
ज़िरोधा के नितिन कामत का 'ब्रोकरेज इनसाइट': इंडस्ट्री का 'कड़वा सच' और सबसे बड़ा जोखिम क्या है?
आमतौर पर यह धारणा है कि ब्रोकरेज इंडस्ट्री मुनाफे का एक अथाह समंदर है, जहाँ ब्रोकिंग कंपनियाँ जमकर कमाई करती हैं। लेकिन, देश की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्मों में से एक, ज़िरोधा (Zerodha) के फाउंडर और सीईओ नितिन कामत ने इस इंडस्ट्री का एक 'कड़वा सच' और उससे जुड़े बड़े जोखिमों का खुलासा किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर एक विस्तृत पोस्ट के माध्यम से ब्रोकिंग बिजनेस के ऐसे पहलुओं पर प्रकाश डाला है, जिनके बारे में इस इंडस्ट्री के बाहर के लोग शायद ही जानते होंगे।
कंसंट्रेशन रिस्क: ब्रोकिंग इंडस्ट्री का सबसे बड़ा खतरा
नितिन कामत ने 'ज़रूरत से ज़्यादा कंसंट्रेशन' (Concentration Risk) को ब्रोकिंग इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़ा जोखिम बताया है। किसी भी बिजनेस में कंसंट्रेशन रिस्क तब पैदा होता है जब कंपनी का रेवेन्यू या आय का एक बड़ा हिस्सा कुछ ही गिने-चुने ग्राहकों से आता है। ऐसे में, यदि किसी कारणवश इन प्रमुख ग्राहकों से आने वाले बिजनेस पर नकारात्मक असर पड़ता है, तो कंपनी का रेवेन्यू अचानक और भारी गिरावट देख सकता है। कई बार तो यह स्थिति कंपनी के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगती है। हालांकि, मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्रोकिंग इंडस्ट्री के लिए यह जोखिम कोई नया नहीं है; यह समस्या हमेशा से इस क्षेत्र का एक अंतर्निहित हिस्सा रही है।
'2008 का वाकया': जब कंसंट्रेशन रिस्क ने रोकी इन्वेस्टमेंट
नितिन कामत ने अपने पोस्ट में इस कंसंट्रेशन की समस्या को समझाने के लिए 2008 के एक मामले का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उस समय एक प्राइवेट इक्विटी फर्म से जुड़े एक बड़े इन्वेस्टर ने सिर्फ इसलिए एक ब्रोकिंग फर्म में निवेश करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उसका बिजनेस अत्यधिक कंसंट्रेटेड था। यानी, उस फर्म के रेवेन्यू में कुछ ही बड़े क्लाइंट्स की हिस्सेदारी बहुत अधिक थी, जिससे भविष्य में अस्थिरता का खतरा था।
20 जून को किए गए अपने पोस्ट में कामत ने कहा है कि उन्होंने इस 'कंसंट्रेशन रिस्क' के बारे में पहले भी कई बार बात की है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में भारतीय स्टॉक मार्केट्स में निवेश करने वाले लोगों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। इस बढ़ते हुए निवेशक आधार के साथ ही, ब्रोकिंग सेवाएँ प्रदान करने वाली कई नई कंपनियाँ भी बाजार में आई हैं।
कामत के इन खुलासों से ब्रोकिंग इंडस्ट्री की आंतरिक कार्यप्रणाली और उसके जोखिम भरे पहलुओं को समझने में मदद मिलती है, जो अक्सर बाहर से देखने पर आकर्षक लगती है। यह उन निवेशकों और उद्यमियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण सबक है जो इस क्षेत्र में उतरने की सोच रहे हैं।
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