शेयर बाजार में बड़ा बदलाव: 1 सितंबर से निफ्टी की एक्सपायरी गुरुवार को नहीं! NSE और BSE ने बदल दिए F&O के Rule
शेयर बाजार में बड़ा बदलाव: 1 सितंबर से निफ्टी की एक्सपायरी गुरुवार को नहीं! NSE और BSE ने बदल दिए F&O के Rule
फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग करने वाले लाखों निवेशकों के लिए एक बड़ी खबर है। देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) ने आधिकारिक रूप से अपने इंडेक्स डेरिवेटिव्स की Weekly Expiry के दिन में ऐतिहासिक बदलाव का ऐलान कर दिया है। अब तक निफ्टी की एक्सपायरी हर गुरुवार को होती थी, लेकिन 1 सितंबर 2025 से यह नियम बदल जाएगा।
NSE ने घोषणा की है कि उसके इंडेक्स डेरिवेटिव्स की वीकली एक्सपायरी अब मंगलवार को हुआ करेगी। वहीं, BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) ने भी पुष्टि की है कि निफ्टी की जगह अब गुरुवार को उसके सेंसेक्स डेरिवेटिव्स की साप्ताहिक एक्सपायरी होगी। इन महत्वपूर्ण बदलावों के लिए दोनों एक्सचेंजों को मार्केट रेगुलेटर SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) से मंजूरी मिल गई है।
क्या है पूरा मामला और कब से लागू होंगे नए नियम?
यह पूरा मामला मार्केट रेगुलेटर SEBI की सेकेंडरी मार्केट Advisory Committee की सिफारिश के बाद सामने आया है। सेबी ने BSE और NSE दोनों को अपने expiry के दिन में बदलाव करने की मंजूरी दे दी है।
NSE पर: अब वीकली एक्सपायरी मंगलवार को होगी।
BSE पर: अब वीकली एक्सपायरी गुरुवार को होगी।
महत्वपूर्ण नोट: ये बदलाव 1 Sep 2025 के बाद होने वाले नए contracts पर लागू होंगे। इसका मतलब है कि 31 अगस्त 2025 तक के सभी मौजूदा derivatives अपने पहले के expiry schedule के मुताबिक ही पूरे होंगे। लेकिन 1 sep 2025 से, NSE के नए contracts मंगलवार को और BSE के contracts गुरुवार को एक्सपायर होंगे। मनीकंट्रोल को यह भी जानकारी मिली है कि सेबी ने Metropolitan Stock Exchange (MSE) को भी मंगलवार को expiry रखने की इजाजत दे दी है, लेकिन उसने अभी अपनी शुरुआत की तारीख तय नहीं की है।
NSE बनाम BSE: कौन होगा फायदे में, कौन नुकसान में?
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस कदम से NSE को फायदा हो सकता है, क्योंकि यह उसकी गिरती डेरिवेटिव्स मार्केट हिस्सेदारी में कुछ इजाफा कर सकता है। पिछले कुछ महीनों में BSE के Sensex derivatives में जबरदस्त तेजी देखने को मिली थी, जिससे NSE पर अपने बाजार प्रभुत्व को बनाए रखने का दबाव बना था। FY25 में BSE का एवरेज डेली प्रीमियम turnover ₹11,782 करोड़ के साथ रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।
एक्सपायरी क्या है और इसके मायने?
अगर आपको expiry का मतलब नहीं पता है, तो बता दें कि expiry शेयर बाजार में उस तारीख को कहते हैं जब किसी derivatives contracts (जैसे ऑप्शन या फ्यूचर्स) की वैधता खत्म हो जाती है। उस तारीख तक ट्रेडर्स को या तो उस कॉन्ट्रैक्ट को बेचना होता है, या उसका सेटलमेंट करना होता है। एक्सपायरी के दिन इन कॉन्ट्रैक्ट्स की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव देखा जाता है क्योंकि कई निवेशक अपनी पोजिशन क्लोज करते हैं या रोलओवर करते हैं।
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि नए फैसले से ट्रेडिंग वॉल्यूम्स में बंटवारा होगा, जिससे वीकली ऑप्शन्स ट्रेडर्स को नए मौके मिलेंगे। दोनों एक्सचेंजों पर अलग-अलग एक्सपायरी डे होने से Hedging and Trading Strategies में भी बड़ा बदलाव आएगा। कुल मिलाकर, NSE और BSE में डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग का एक नया दौर शुरू होने वाला है। बड़े निवेशक और ऑप्शन्स ट्रेडर्स इस बदलाव को करीब से देख रहे हैं, और आने वाले महीनों में इसके असर का दायरा और स्पष्ट होगा।
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