SME IPOs का 'काला सच': SEBI की जांच से मर्चेंट बैंकर्स की हेराफेरी उजागर, निवेशकों का भरोसा दांव पर!
SME IPOs का 'काला सच': SEBI की जांच से मर्चेंट बैंकर्स की हेराफेरी उजागर, निवेशकों का भरोसा दांव पर!
भारतीय पूंजी बाजार के नियामक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड दो SME (लघु और मध्यम उद्यम) कंपनियों के खिलाफ चौंकाने वाले आदेश जारी किए हैं। ये आदेश, वराया क्रिएशंस (Varaya Creations - VCL) और साइनोपटिक्स टेक्नोलॉजीज (Synoptics Technologies) से संबंधित हैं, और IPO से जुटाए गए धन के दुरुपयोग पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। SEBI की जांच में जो सामने आया है, वह न केवल इन कंपनियों की कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करता है, बल्कि SME IPO में मर्चेंट बैंकरों की भूमिका की पारदर्शिता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
IPO फंड का 'अनाधिकृत' उपयोग: वराया क्रिएशंस का मामला
SEBI ने वराया क्रिएशंस लिमिटेड (VRL) के मामले में एक अंतरिम आदेश जारी किया है, जिसमें IPO से जुटाए गए धन के उपयोग में अनियमितताएं उजागर हुई हैं। आरोप है कि अप्रैल 2024 में आए वराया के ₹20.10 करोड़ के IPO के मर्चेंट बैंकर, इन्वेंट्यूर मर्चेंट बैंकिंग सर्विसेज (Inventure Merchant Banking Services), ने लगभग 71% राशि को कई खातों में स्थानांतरित कर दिया। मर्चेंट बैंकर ने दावा किया कि ये स्थानान्तरण IPO से संबंधित खर्चों के भुगतान के लिए किए गए थे।
हैरानी की बात यह है कि IPO दस्तावेजों में इश्यू का कुल खर्च सिर्फ ₹60 लाख बताया गया था, जबकि ₹20.10 करोड़ में से ₹14 करोड़ तीन अन्य कंपनियों को हस्तांतरित कर दिए गए। यह स्थानांतरण IPO एस्क्रो अकाउंट से सीधे मर्चेंट बैंकर इन्वेंट्यूर के निर्देश पर हुआ, और पैसा कंपनी के खाते में पहुंचने से पहले ही लिस्टिंग के दिन और अगले दिन इन तीन कंपनियों को भेज दिया गया।
साइनोपटिक्स टेक्नोलॉजीज में भी यही 'पैटर्न':
साइनोपटिक्स टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के IPO में भी इसी तरह की अनियमितताएं देखने को मिली हैं। जुलाई 2023 में लिस्ट हुई इस कंपनी का IPO ₹54.04 करोड़ का था। इसमें से ₹19 करोड़ तीन कंपनियों को हस्तांतरित किए गए। SEBI की जांच में पाया गया कि यह पैसा एक्सचेंज से लिस्टिंग की रसीद मिलने से पहले ही स्थानांतरित कर दिया गया था। इस IPO के दस्तावेजों में भी इश्यू का खर्च सिर्फ ₹80 लाख बताया गया था, जो वास्तविक स्थानांतरण राशि से काफी कम था।
भोले-भाले निवेशक बन रहे फ्रॉड का शिकार:
KRIS के अरुण केजरीवाल ने इस गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "पिछले कुछ महीनों के मामलों को देखने पर ऐसा लगता है कि SME इश्यू से जुड़े लोगों ने सिस्टम की कमियों का फायदा उठाते हुए भोले-भाले निवेशकों के साथ फ्रॉड किया है। अब समय आ गया है कि इस मामले में रेगुलेटर को हस्तक्षेप करना चाहिए।"
SEBI की जांच में यह भी सामने आया कि जहां मर्चेंट बैंकर इन्वेंट्यूर ने VRL के मामले में धन हस्तांतरण को 'इश्यू के उद्देश्यों' के अनुरूप बताया (जैसे इन्वेंट्री खरीद और सामान्य कारोबारी जरूरतें), वहीं SEBI के अंतरिम आदेश के मुताबिक, मर्चेंट बैंकर ने बैंकों को लिखे गए पत्र में इसके अलग कारण बताए थे। पत्र में कहा गया था कि यह पैसा इश्यू मैनेजमेंट फीस, अंडरराइटिंग और सेलिंग कमीशन के लिए स्थानांतरित किया जा रहा है।
जब SEBI ने VCL से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा, तो कंपनी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। साइनोपटिक्स टेक्नोलॉजीज भी पैसे के हस्तांतरण की सही वजह बताने में नाकाम रही, और उसके द्वारा बताई गई वजहें ऑफर डॉक्यूमेंट में बताई गई वजहों से अलग थीं।
एस्क्रो अकाउंट का दुरुपयोग: एक गंभीर चिंता:
IPO बाजार पर करीब से नजर रखने वाले एक मार्केट पार्टिसिपेंट ने कहा, "एस्क्रो अकाउंट का सिस्टम बड़ी कंपनियों के IPO में ठीक तरह से काम करता है, लेकिन SME सेगमेंट में यह साफ है कि मर्चेंट बैंकर मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि पहले एक ऐसा मामला आया था जिसमें इश्यू पेश करने वाली SME कंपनी मर्चेंट बैंकर के लिए सिर्फ एक 'बिलिंग कंपनी' थी, यानी कंपनी मर्चेंट बैंकर के लिए सार्वजनिक रूप से कमीशन के आधार पर फंड जुटाने का सिर्फ एक माध्यम थी।
SEBI की यह जांच SME IPO बाजार में बढ़ती अनियमितताओं पर प्रकाश डालती है, जो छोटे निवेशकों के लिए चिंता का विषय है। नियामक को इस समस्या से निपटने के लिए और सख्त कदम उठाने होंगे ताकि निवेशकों का विश्वास बना रहे और SME प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग रोका जा सके।
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