L&T को 'सुप्रीम' राहत: MMRDA ने ₹14,000 करोड़ का टेंडर रद्द किया, पारदर्शिता पर उठे थे सवाल

L&T को 'सुप्रीम' राहत: MMRDA ने ₹14,000 करोड़ का टेंडर रद्द किया, पारदर्शिता पर उठे थे सवाल

लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के लिए बड़ी राहत की खबर है। मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) ने ₹14,000 करोड़ के दो मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए जारी टेंडर प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा टेंडर प्रक्रिया पर गंभीर चिंता जताए जाने के बाद आया है, जिसमें पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए थे। MMRDA ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि आगे की कार्रवाई पर Maharashtra सरकार फैसला लेगी।

सुप्रीम कोर्ट की चिंता और L&T की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने ₹14,000 करोड़ के इन टेंडरों को लेकर MMRDA और Maharashtra सरकार के रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई थी। कोर्ट ने विशेष रूप से इस बात पर सवाल उठाया था कि जिस कंपनी (L&T) ने सेंट्रल विस्टा जैसे राष्ट्रीय महत्व के प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है, उसे बिना उचित जानकारी दिए तकनीकी बोली के चरण में ही कैसे अयोग्य ठहराया जा सकता है।

L&T ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि MMRDA ने उसे TENDER प्रक्रिया से बाहर कर दिया था और उसकी वित्तीय बोली को खोला भी नहीं गया, जबकि अन्य बोलीदाताओं को सूचित किया गया था। L&T ने 30 दिसंबर, 2024 को अपनी तकनीकी और वित्तीय बोलियां पेश की थीं, और तकनीकी बोलियां 1 जनवरी, 2025 को खोली गईं, लेकिन उसके बाद कंपनी को कोई सूचना नहीं मिली। L&T की याचिका में कहा गया था कि MMRDA द्वारा संवाद न करने से टेंडर प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है।


रद्द किए गए प्रमुख प्रोजेक्ट्स

MMRDA ने जिन दो प्रमुख टेंडरों को रद्द किया है, वे मुंबई के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा विस्तार का हिस्सा थे:


एलिवेटेड रोड: फाउंटेन होटल जंक्शन से भायंदर के बीच 9.8 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड क्रीक रोड ब्रिज परियोजना, जिसकी अनुमानित लागत ₹6,000 करोड़ थी। यह मुंबई कोस्टल रोड परियोजना के विस्तार का हिस्सा है।

अंडरग्राउंड रोड (सुरंग): गोमुख से फाउंटेन होटल जंक्शन (ठाणे-घोड़बंदर रोड पर) के बीच 5 किलोमीटर लंबी जुड़वां सुरंगों का निर्माण, जिसकी लागत ₹8,000 करोड़ थी।

इसके पहले 20 मई को मुंबई उच्च न्यायालय ने लार्सन एंड टुब्रो (L&T) लिमिटेड को इन परियोजनाओं के लिए वित्तीय बोलियां खोलने को चुनौती देने वाली याचिकाओं में राहत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद L&T ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

"जनहित में" टेंडर रद्द

MMRDA ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह निर्णय "बड़े जनहित" में लिया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, जो MMRDA का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया, "हम टेंडर रद्द कर रहे हैं।" मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने MMRDA के इस फैसले की सराहना की और पारदर्शिता के महत्व पर जोर दिया। इस फैसले का मतलब है कि अब इन दोनों प्रोजेक्ट्स के लिए नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू की जा सकती है, जिससे L&T सहित अन्य कंपनियों को फिर से बोली लगाने का मौका मिलेगा।

यह मामला भारत में सार्वजनिक परियोजनाओं की टेंडरिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व को रेखांकित करता है, खासकर जब हजारों करोड़ रुपये के सार्वजनिक धन शामिल हों।

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