भारतीय डेरिवेटिव्स मार्केट में 'नया युग': सेबी ने बदले F&O एक्सपायरी के नियम, ट्रेडर्स के लिए क्या है इसका मतलब?
भारतीय डेरिवेटिव्स मार्केट में 'नया युग': सेबी ने बदले F&O एक्सपायरी के नियम, ट्रेडर्स के लिए क्या है इसका मतलब?
भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार में एक बड़ा बदलाव होने वाला है। मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपायरी को अब केवल मंगलवार या गुरुवार तक सीमित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह कदम बाजार में अधिक स्थिरता लाने, निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और एक्सपायरी डे पर होने वाली अत्यधिक अस्थिरता (वोलैटिलिटी) को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
क्या है SEBI का नया 'गेम-चेंजर' नियम?
SEBI ने 27 मार्च, 2025 को एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया था, जिसमें fixed day expiry का प्रस्ताव रखा गया था। अब, 26 मई, 2025 को जारी एक सर्कुलर के माध्यम से इस नियम को लागू कर दिया गया है। इसके तहत:
बेंचमार्क इंडेक्स ऑप्शंस: प्रत्येक स्टॉक एक्सचेंज को अपने साप्ताहिक बेंचमार्क इंडेक्स ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट के लिए मंगलवार या गुरुवार में से एक दिन चुनना होगा। इसका मतलब है कि अब एक ही इंडेक्स के लिए कई एक्सपायरी दिन नहीं होंगे।
अन्य इक्विटी डेरिवेटिव्स: बेंचमार्क इंडेक्स फ्यूचर्स, नॉन-बेंचमार्क इंडेक्स फ्यूचर्स/ऑप्शंस, और सिंगल स्टॉक फ्यूचर्स/ऑप्शंस जैसे अन्य सभी इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स की न्यूनतम अवधि एक महीना होगी, और इनकी एक्सपायरी महीने के अंतिम सप्ताह में चुने गए दिन (अंतिम मंगलवार या गुरुवार) को होगी।
यह बदलाव डेरिवेटिव्स मार्केट में अनुशासन लाने और निवेशकों को अधिक अनुमानित ट्रेडिंग माहौल प्रदान करने का लक्ष्य रखता है।
क्यों लाया गया यह बदलाव? डेरिवेटिव्स मार्केट में नुकसान का भयानक सच
SEBI का यह निर्णय डेरिवेटिव्स मार्केट में बढ़ती वोलैटिलिटी और विशेष रूप से रिटेल निवेशकों को होने वाले भारी नुकसान को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। SEBI के सितंबर 2024 के विश्लेषण ने एक चौंकाने वाला सच उजागर किया था:
पिछले तीन FY22 से FY2 में F&O मार्केट में व्यक्तिगत ट्रेडर्स को कुल ₹1.8 लाख करोड़ का भारी नुकसान हुआ।
लगभग 93% ट्रेडर्स, यानी 10 में से 9 ट्रेडर्स ने औसतन ₹2 लाख का नुकसान उठाया।
शीर्ष 3.5% नुकसान उठाने वाले ट्रेडर्स (लगभग 4 लाख ट्रेडर) ने औसतन ₹28 लाख का नुकसान दर्ज किया।
आश्चर्यजनक रूप से, केवल 1% ट्रेडर्स ने ही ₹1 लाख से अधिक का लाभ कमाया।
FY24 में NSE पर index derivatives में 92.5 लाख व्यक्तियों और प्रोप्राइटरशिप फर्मों ने ट्रेडिंग की और कुल ₹51,689 करोड़ का नुकसान उठाया। यह डेटा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि F&O मार्केट ने निवेशकों के लिए जोखिम को काफी बढ़ाया है, जिसे SEBI अपने नए नियमों के माध्यम से कम करने का प्रयास कर रही है।
एक्सपायरी डे का इतिहास और इसका भविष्य
SEBI के नियमों से पहले, स्टॉक एक्सचेंजों ने अपने derivatives contracts के expiry day में कई बार बदलाव किए थे। उदाहरण के लिए, BSE ने अपनी साप्ताहिक सेंसेक्स एक्सपायरी को शुक्रवार से मंगलवार में बदला था, जबकि NSE ने बैंक निफ्टी की एक्सपायरी को गुरुवार से शुक्रवार और फिर बुधवार में स्थानांतरित किया। पहले NSE पर चार इंडेक्स और BSE पर दो इंडेक्स के लिए साप्ताहिक एक्सपायरी थीं, लेकिन अब प्रत्येक एक्सचेंज केवल एक बेंचमार्क इंडेक्स के लिए साप्ताहिक एक्सपायरी की पेशकश कर सकता है।
निवेशकों के लिए इसमें क्या है?
निवेशकों, विशेषकर रिटेल ट्रेडर्स के लिए, यह नया नियम कई संभावित लाभ ला सकता है:
कम वोलैटिलिटी: मंगलवार और गुरुवार को expiry day को सीमित करने से मार्केट में अत्यधिक अस्थिरता कम होगी, जिससे ट्रेडर्स को अधिक अनुमानित और स्थिर ट्रेडिंग पैटर्न मिलेंगे।
बेहतर जोखिम प्रबंधन: इससे विशेष रूप से रिटेल निवेशकों को लाभ होगा, जो अक्सर एक्सपायरी डे की अत्यधिक वोलैटिलिटी में भारी नुकसान उठाते हैं।
सट्टेबाजी में कमी: SEBI के अनुसार, साप्ताहिक एक्सपायरी को एक इंडेक्स तक सीमित करने से Speculative Trading में कमी आएगी, जो रिटेल निवेशकों के लिए जोखिम को कम करेगा।
स्पष्टता और सरलता: नियमों में एकरूपता और स्पष्टता आने से ट्रेडर्स के लिए बाजार को समझना और उसमें नेविगेट करना आसान होगा।
यह कदम भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार को अधिक जिम्मेदार और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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