जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रमोटरों को दिल्ली DRT से बड़ा झटका: कंपनी की संपत्तियों की बिक्री पर रोक!
जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रमोटरों को दिल्ली DRT से बड़ा झटका: कंपनी की संपत्तियों की बिक्री पर रोक!
इस आदेश का सीधा असर जेनसोल इंजीनियरिंग की प्रमुख संपत्तियों पर पड़ेगा, जिनमें वे इलेक्ट्रिक वाहन (EV) भी शामिल हैं, जिन्हें खरीदने के लिए IREDA और पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC) जैसे सरकारी एनबीएफसी ने ऋण दिया था। DRT ने अदालत द्वारा नियुक्त अधिकारी को BluSmart Cabs को कब्जे में लेने का भी निर्देश दिया है, जिन्हें भी अलग-अलग ऋणदाताओं ने फाइनेंस किया था।
डीमैट और बैंक खातों की जानकारी मांगी, फ्रीज करने के आदेश
DRT ने इस मामले में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए डिपॉजिटरी संस्थानों NSDL और CDSL को निर्देश दिया है कि वे प्रमोटरों से संबंधित सभी डीमैट और बैंक खातों की विस्तृत जानकारी दें। यदि कोई डीमैट खाता मौजूद है, तो उसे तत्काल फ्रीज कर उसके शेयरों की पूरी डिटेल ट्राइब्यूनल को सौंपने का भी आदेश दिया गया है। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है, जब कंपनी के लेनदार कुल ₹510 करोड़ की बकाया राशि की वसूली के लिए कानूनी प्रयास कर रहे हैं।
SEBI की जांच और पूंजी बाजार से प्रतिबंध
यह DRT का आदेश भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा 15 अप्रैल को जेनसोल और उसके प्रमोटरों के खिलाफ जारी किए गए अंतरिम आदेश के बाद आया है। SEBI ने कंपनी और उसके प्रमोटरों को पूंजी बाजार से प्रतिबंधित कर दिया था और कंपनी की फॉरेंसिक ऑडिट के आदेश दिए थे।
SEBI की जांच में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं:
ऋण का दुरुपयोग: SEBI की जांच में पता चला है कि जेनसोल ने IREDA से ₹977 करोड़ और PFC से ₹663 करोड़ का ऋण लिया था। यह ऋण 6,400 इलेक्ट्रिक गाड़ियों की खरीद में इस्तेमाल किया जाना था। हालांकि, रिकॉर्ड के अनुसार कंपनी ने केवल 4,704 गाड़ियां खरीदीं। EV सप्लायर Go-Auto Private Limited ने भी SEBI को पुष्टि की कि उसने जेनसोल को ₹567.73 करोड़ में 4,704 व्हीकल बेचे।
निजी इस्तेमाल के लिए फंड का डायवर्जन: SEBI लगभग ₹262 करोड़ की ऐसी कॉर्पोरेट धनराशि की भी जांच कर रहा है, जो कथित तौर पर प्रमोटरों द्वारा निजी उद्देश्यों के लिए डायवर्ट की गई। नियामक के अनुसार, इस रकम का इस्तेमाल लग्जरी संपत्तियों की खरीद जैसे निजी उद्देश्यों के लिए किया गया।
जेनसोल इंजीनियरिंग के लिए यह दोहरा झटका है, क्योंकि कंपनी पहले से ही SEBI की जांच और प्रतिबंधों का सामना कर रही है। DRT का यह आदेश कंपनी के प्रमोटरों के लिए वित्तीय मुश्किलें और बढ़ाएगा और ऋणदाताओं के लिए बकाया वसूली की उम्मीद जगाएगा। यह मामला भारतीय कॉर्पोरेट गवर्नेंस और ऋण वसूली तंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है।
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