दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: डॉ. रेड्डीज को झटका, भारत में 'वजन घटाने वाली' सेमाग्लूटाइड नहीं बेच पाएगी!
दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: डॉ. रेड्डीज को झटका, भारत में 'वजन घटाने वाली' सेमाग्लूटाइड नहीं बेच पाएगी!
दिल्ली हाईकोर्ट ने डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज और वनसोर्स स्पेशल्टी फार्मा को सेमाग्लूटाइड (semaglutide) की भारत में बिक्री पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह दवा नोवो नॉर्डिस्क (Novo Nordisk) की बहुचर्चित वजन घटाने वाली दवा 'वीगोवी' (Wegovy) और मधुमेह की दवा 'ओज़ेम्पिक' (Ozempic) का सक्रिय घटक है। यह अंतरिम आदेश डेनमार्क की फार्मा कंपनी नोवो नॉर्डिस्क द्वारा दायर पेटेंट उल्लंघन मामले की सुनवाई के बाद शुक्रवार, 30 मई, 2025 को आया है।
यह फैसला ऐसे महत्वपूर्ण समय में आया है जब भारत में मोटापा और मधुमेह के इलाज की मांग तेजी से बढ़ रही है। नोवो नॉर्डिस्क खुद अपनी वीगोवी को भारतीय बाजार में लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है।
पेटेंट उल्लंघन का मामला:
नोवो नॉर्डिस्क ने दिल्ली हाईकोर्ट में डॉ. रेड्डीज और उसकी सहयोगी वनसोर्स स्पेशल्टी फार्मा के खिलाफ पेटेंट उल्लंघन का मुकदमा दायर किया था। नोवो नॉर्डिस्क का तर्क है कि सेमाग्लूटाइड के लिए उसके पास भारत में पेटेंट अधिकार हैं, जो मार्च 2026 तक वैध हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट में, डॉ. रेड्डीज ने अदालत को बताया कि उसे दिसंबर 2024 में सेमाग्लूटाइड के निर्माण का लाइसेंस मिल गया था और उसने अप्रैल 2025 में उत्पादन शुरू कर दिया था। हालांकि, डॉ. रेड्डीज ने यह भी स्पष्ट किया कि उसके पास 'विचाराधीन दवा को भारत में बेचने का लाइसेंस नहीं है'। कंपनी ने कोर्ट को यह भी बताया कि वह उन देशों में दवा का निर्यात करने का अधिकार सुरक्षित रखती है जहां नोवो नॉर्डिस्क के पास पेटेंट नहीं है। हालांकि, नोवो नॉर्डिस्क ने इस पर आपत्ति जताई है कि पेटेंट का उल्लंघन करने वाले उत्पाद का निर्यात भी उल्लंघन के दायरे में आता है।
न्यायमूर्ति अमित बंसल ने डॉ. रेड्डीज के इस बयान को रिकॉर्ड किया कि वे भारत में दवा नहीं बेचेंगे और यह स्थिति अगली सुनवाई (19 अगस्त, 2025) तक मान्य रहेगी। कोर्ट ने इस निर्यात के मुद्दे पर भी आगे सुनवाई करने का संकेत दिया है।
भारत में मोटापा-रोधी दवाओं का बढ़ता बाजार:
भारत में मोटापे को नियंत्रित करने वाली दवाओं का बाजार रॉकेट की गति से बढ़ रहा है। फार्माट्रैक (Pharmatrac) के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2021 में यह बाजार ₹133 करोड़ से बढ़कर मार्च 2025 तक ₹576 करोड़ पर पहुंच गया है, जो चार साल में लगभग चार गुना वृद्धि है। इस वृद्धि का एक बड़ा कारण सेमाग्लूटाइड है, जिसकी बाजार वैल्यू ₹397 करोड़ है, जो इसके प्रतिद्वंद्वियों लिराग्लूटाइड (Liraglutide) और डुलाग्लूटाइड (Dulaglutide) से कहीं अधिक है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत का मोटापा उपचार बाजार 2030 तक ₹25,000 करोड़ तक पहुंच सकता है, जो वर्तमान के ₹3,000-₹3,500 करोड़ से लगभग आठ गुना अधिक होगा।
नोवो नॉर्डिस्क की आक्रामक रणनीति:
भारत में मोटापे की दवा की बढ़ती मांग को देखते हुए, नोवो नॉर्डिस्क ने अपनी रणनीति बदली है। पहले इसकी योजना वीगोवी को वर्ष 2026 में लॉन्च करने की थी, लेकिन अब फार्मा कंपनी ने इसके लॉन्च की गति बढ़ा दी है और इसे 2025 के अंत तक भारतीय बाजार में लाने का लक्ष्य रखा है।
वीगोवी को जल्द ही बाजार में लाने का कंपनी का फैसला हाल ही में एली लिली (Eli Lilly) की वजन घटाने वाली दवा 'मौंजारो' (Mounjaro - एक्टिव इंग्रेडिएंट टिरज़ेपेटाइड) के भारतीय बाजार में प्रवेश के बाद आया है। मौंजारो ने मार्च 2025 में भारत में लॉन्च होकर बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है। इसी वजह से नोवो नॉर्डिस्क को बाजार में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा। कंपनी ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा कि एक स्वास्थ्य सेवा कंपनी के रूप में, वे अपने मरीजों के लिए इलाज की उपलब्धता सुनिश्चित करने की अपनी जिम्मेदारी समझते हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट का यह अंतरिम आदेश भारतीय फार्मा बाजार में पेटेंट अधिकारों और प्रतिस्पर्धा के बीच बढ़ते तनाव को उजागर करता है, खासकर तेजी से उभरते मोटापे के उपचार सेगमेंट में।
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