सेबी के नए नियम से ₹35,000 करोड़ का स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट मार्केट संकट में? HNI निवेशकों पर पड़ेगा असर!

सेबी के नए नियम से ₹35,000 करोड़ का स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट मार्केट संकट में? HNI निवेशकों पर पड़ेगा असर!



भारतीय पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) के नए नियम, जो इंडेक्स डेरिवेटिव्स पर पोजीशन लिमिट्स को लेकर हैं, ₹35,000 करोड़ के अनुमानित स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट मार्केट के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। बाजार के प्रतिभागियों ने सेबी से गुहार लगाई है कि इन इंस्ट्रूमेंट्स को नई पोजीशन लिमिट से छूट दी जाए, क्योंकि ये नियम इन उत्पादों के रिटर्न और निवेशकों पर गहरा असर डाल सकते हैं।


स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, इक्विटी, डेट और इक्विटी डेरिवेटिव्स को मिलाकर बनाए जाते हैं। ये उत्पाद आमतौर पर हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNI) द्वारा निवेश किए जाते हैं, जिनका टिकट साइज़ ₹1 करोड़ या इससे अधिक होता है। ये उत्पाद अक्सर हेजिंग और विशिष्ट जोखिम-रिटर्न प्रोफाइल प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं।


F&O में अचानक पोजीशन खत्म करने का डर

SEBI एक सर्कुलर तैयार कर रहा है, जिसमें इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस में एक्सपोजर की सीमा तय की गई है। स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स ऑफर करने वालों को डर है कि यदि ये नए नियम लागू होते हैं, तो उन्हें अपनी मौजूदा पोजीशन को अचानक खत्म करने (Unwind) के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। इसका सीधा और नकारात्मक असर उनके प्रोडक्ट्स के रिटर्न पर पड़ेगा, जिससे निवेशकों को नुकसान हो सकता है।


इस मसले से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया, "इस बारे में सेबी को प्रतिनिधित्व (Representation) मिला है। नियामक से स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स को लॉन्ग डेल्टा एंड-ऑफ-डे पोजीशन लिमिट से छूट देने की मांग की गई है।" इसका तात्पर्य यह है कि स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स को हेज करने के लिए डेरिवेटिव्स में ली गई पोजीशन को सामान्य ट्रेडर की तरह 'नेट पोजीशन' के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।


इंडस्ट्री की अलग कैटेगरी की मांग और हेजिंग का महत्व

उद्योग भी लंबे समय से स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स के लिए एक अलग कैटेगरी की मांग कर रहा है। यदि इन उत्पादों को एक अलग श्रेणी के रूप में मान्यता दी जाती है, तो हेजिंग के लिए पोजीशन की सीमा लागू नहीं होगी, जिससे वे अपने जोखिमों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन कर सकेंगे।


स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स जारी करने वाले आमतौर पर अपनी देनदारियों (Obligations) को F&O मार्केट में हेज करते हैं। यदि डेरिवेटिव्स में उनके एक्सपोजर पर किसी तरह की सीमा लगाई जाती है, तो इससे जोखिम प्रबंधन की उनकी क्षमता प्रभावित होगी। यह विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण हो जाता है जब अंतर्निहित बेंचमार्क (Underlying Benchmark) से जुड़ी देनदारियां परिपक्व होती हैं।


एक्सचेंजों ने डेटा एकत्र करना शुरू किया

स्टॉक एक्सचेंजों ने इस संबंध में स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स जारी करने वालों से डेटा एकत्र करना शुरू कर दिया है। इससे उन्हें सेबी के नए नियमों के संभावित प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी। स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स जारी करने वालों ने मार्च 2020 के सेबी के एक सर्कुलर का भी हवाला दिया है, जिसमें कुछ खास स्थितियों में असीमित लॉन्ग-साइड हेज की अनुमति दी गई है।


इस मामले से जुड़े एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स जारी करने वाले वास्तव में बाजार की अस्थिरता को सोख लेते हैं और निवेशकों को एक संरचित, जोखिम-प्रबंधित निवेश विकल्प प्रदान करते हैं। यदि इन पर अनावश्यक प्रतिबंध लगाए जाते हैं, तो यह न केवल इस बाजार को बाधित करेगा, बल्कि उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों के लिए निवेश विकल्पों को भी सीमित कर सकता है।


यह देखना होगा कि सेबी इस ₹35,000 करोड़ के बाजार की चिंताओं को कैसे संबोधित करता है और क्या कोई समाधान निकाला जाता है जिससे बाजार की अखंडता और निवेशकों के हितों दोनों को बनाए रखा जा सके। 

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