अक्षय तृतीया: इस दिन ख़रीदा हुआ सोना हमेशा बढ़ता है कम नहीं होता और सोना खरीदने का योग संयोग बनता है इसलिए यह कहलाता है 'बढ़ता हुआ सोना'
अक्षय तृतीया: इस दिन ख़रीदा हुआ सोना हमेशा बढ़ता है कम नहीं होता और सोना खरीदने का योग संयोग बनता है इसलिए यह कहलाता है 'बढ़ता हुआ सोना' !
सनातन धर्मानुसार, वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को 'अक्षय तृतीया' या 'आखा तीज' कहते हैं।अक्षय तृतीया को भारत में हिंदुओं और जैनियों द्वारा एक शुभ दिन के रूप में मनाया जाता है; यह "अंतहीन समृद्धि का तीसरा दिन" दर्शाता है। पौराणिक शास्त्रानुसार, अक्षय तृतीया विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना जाता है। इस दिन किए गए शुभ कार्य, दान, उपवास और व्रत का अक्षय फल अर्थात संपूर्ण फल मिलता है।अक्षय तृतीया का ऐसे तो पूरा दिन शुभ है शुभ मुहूर्त 3:40 से 6:50 तक का है ! 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पावन पर्व है। यह दिन एक विशेष मान्यता रखता है कि इस दिन जो कुछ भी प्राप्त होता है, वह सदैव बना रहता है। यही कारण है कि जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों और निर्णयों के लिए यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है। विवाह जैसे पवित्र बंधन के लिए भी इसे श्रेष्ठ मुहूर्त घोषित किया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन खरीदा गया सोना घर में स्थायी समृद्धि का वास कराता है और समय के साथ उसमें वृद्धि होती रहती है। श्रीमद्भागवत में वर्णित है कि समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी स्वर्ण आभूषणों से सुशोभित होकर प्रकट हुई थीं, इसलिए सोना को लक्ष्मी जी का ही स्वरूप माना जाता है। इस दिन सोना, चांदी, वाहन, संपत्ति, वस्त्र और अन्य मूल्यवान वस्तुएं खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। नए व्यवसाय या नौकरी की शुरुआत, विवाह, गृह प्रवेश अथवा किसी भी प्रकार का निवेश अक्षय फल प्रदान करता है। आइए, इस दिन को इतना महत्वपूर्ण बनाने वाली कुछ प्रमुख मान्यताओं पर एक दृष्टि डालते हैं......
महाभारत का लेखन और विद्या का शुभारंभ: यह माना जाता है कि भगवान गणेश ने महाभारत का लेखन इसी शुभ तिथि पर प्रारंभ किया था, जिससे यह दिन विद्या अध्ययन की शुरुआत के लिए भी विशेष महत्व रखता है।
अक्षय सुख और समृद्धि का पर्व: अक्षय तृतीया अक्षय सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आराधना का दिन है। वैशाख मास के अधिपति भगवान विष्णु हैं, और इस तिथि की अपनी विशेष शक्ति है। भविष्य पुराण के अनुसार, त्रेता युग के आरंभ के बाद इस तिथि को सतयुग के समान स्वर्णिम युग कहा गया है। इस दिन सोना खरीदने की एक महत्वपूर्ण वजह यह भी है। युग के आरंभ की तिथि होने के कारण, इस दिन नए कार्यों की शुरुआत की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
पुरुषार्थ और त्याग का प्रतीक: स्कंद पुराण के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम का जन्म हुआ था। नर-नारायण और हयग्रीव अवतारों को भी इसी तिथि से जोड़ा जाता है, जिससे यह दिन पुरुषार्थ और त्याग के मूल्यों का प्रतीक बन जाता है।
अक्षय पात्र की प्राप्ति की कथा: महाभारत काल में पांडवों के अज्ञातवास के दौरान, ऋषि धौम्य ने युधिष्ठिर को सूर्य देव की पूजा करने का सुझाव दिया। सूर्य देव प्रसन्न हुए और उन्होंने युधिष्ठिर को एक अद्भुत सोने का अक्षय पात्र प्रदान किया, जिसमें कभी भोजन समाप्त नहीं होता था। इसी कथा के कारण इस दिन सोना खरीदने की परंपरा की शुरुआत हुई।
गंगा का अवतरण: ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, भगीरथ की कठोर तपस्या के परिणामस्वरूप माँ गंगा पृथ्वी पर तीव्र वेग से अवतरित हुईं। उनके प्रचंड वेग से पृथ्वी पाताल में समा सकती थी, इसलिए भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर लिया और अक्षय तृतीया के दिन उन्हें मुक्त किया। इसी कारण इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
विद्यारंभ के लिए शुभ: यह माना जाता है कि वेदव्यास जी ने महाभारत के लेखन के लिए इसी तिथि का चयन किया था, और भगवान गणेश ने इसी दिन से ग्रंथ लिखना शुरू किया था। इसलिए, यह दिन ज्ञान और विद्या की शुरुआत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
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