भारत में बढ़ते फर्जी एल्गो सॉफ्टवेयर कंपनियां
आजकल भारत में बहुत सारी फर्जी एल्गो के नाम पर कंपनिया चल रही है एल्गो सॉफ्टवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो कि आपकी ट्रेडिंग को ऑटोमेटिक बनता है इसके अपने बहुत सारे फायदे और नुकसान है फायदा कि अगर मैं बात करूं तो उन ट्रेडर्स के लिए जो की काफी अनडिसीप्लिन हैं मतलब नियम से काम नहीं करते हैं उनके लिए काफी फायदेमंद है और नए व्यक्ति जो कि स्टॉक मार्केट के बारे में थोड़ा सा काम जानते हैं उनकी शुरुआत के लिए जरूरी है लेकिन उसके साथ-साथ आपको यह भी जानना जरूरी है कि आप
कितना पैसा मार्केट में लगा रहे हैं और उसमें कितने की रिस्क ले सकते हैं बिना उसकी जान ट्रेडिंग करना कहीं से भी सही नहीं है तो मैं बात कर रहा हूं फर्जी कंपनियों की जो की बाजार में काफी तेजी से खुल रही है और इन कंपनियों में होता यह है कि यह उनके पास में कोई सॉफ्टवेयर होता ही नहीं है यह आपको केवल बेवकूफ बनाकर या आपको अपनी बातों में उलझा के आपसे डीमैट का आपका आईडी पासवर्ड ले लेते हैं और उसमें ट्रेड डालते रहते हैं लेकिन यहां पर इन्वेस्टर या ट्रेड की भी गलती होती है उसे तब तक इन सब चीजों से कोई मतलब नहीं होता जब तक उसके पास प्रॉफिट का पैसा पहुंच रहा होता है जब लॉस होता है तो वह सब चीजों के बारे में जानकारी निकालना लगता है और खोज भी शुरू करता है मतलब जब आपके घर पर हमला हो चुका है तब आप अपनी चीजों को बचाने में जाते हैं मैं आपको कुछ ऐसे तत्व बताने वाला हूं जो कि अक्सर फर्जी कंपनियों के बारे में आपको देखने को मिलेंगे तो आप उसे देखकर उनसे शुरू में जोड़ने के पहले ही बहुत सारी सावधानियां बरत सकते हैं बस अपने लालच को थोड़ा साइड में रख दीजिए तो चलिए सबसे पहली चीज अगर आप किसी भी कंपनी के साथ जुड़ते हैं अगर वह प्रॉपर कंपनी है मतलब प्राइवेट लिमिटेड है लिमिटेड लायबिलिटी है पार्टनरशिप है या सोलो प्रोपराइटर है कुछ भी उसका एक अंश हो सकता है मतलब उसका कुछ ना कुछ एक तरीका हो सकता है काम करने का लेकिन अगर कोई पर्सनल सेविंग अकाउंट के अंदर ही आपसे पैसा ले रहा है पैसे की डिमांड करता है मतलब जब सामने वाले के पास में इस प्रकार के संसाधन ही नहीं है कि वह एक कंपनी रजिस्टर कर सके या वह किसी एक संवैधानिक तौर पर अपनी संस्था को रजिस्टर कर सके तो इसका सीधा सा मतलब यह है कि वह एक चोर है या वह एक गलत आदमी हो सकता है दूसरी चीज यहां पर देखने वाली यह होती है कि जो भी फेक कंपनी होती है दूसरी चीज जो देखने वाली होती है वह यह होती है कि आज सोशल मीडिया के जमाने में जहां पर सभी के लोग सोशल मीडिया पर अपनी अकाउंट रखते हैं उन कंपनियों का कोई भी सोशल अपीरियंस नहीं मिलेगा ना ही उसे कंपनी का मिलेगा ना ही उसकी कंपनी के एम्पलाई का मिलेगा या कंपनी के किसी एक पार्टिकुलर इंसान का या कंपनी के डायरेक्टर का या कंपनी के सीईओ का या कंपनी के मैनेजर का कोई भी ऐसा पर्सनल अकाउंट आपको नहीं देखने को मिलेगा जो कि आपको या ऑफिशल अकाउंट देखने को नहीं मिलेगा जहां पर आप उनकी सोशल पहचान कर सकते हैं दूसरी सबसे बड़ी चीज उनकी वेबसाइट भी नहीं होगी कुछ कंपनियां वेबसाइट बना लेती है लेकिन वहां पर आधी अधूरी जानकारी मिलेगी साथ ही साथ उनके पास में संवैधानिक तौर पर होने वाले लाइसेंस जैसे अगर आप व्यापार करते हैं तो जीएसटी या जीएसटी के अलावा आपका कोई कंपनी कंपनी लाइसेंस या और भी किसी प्रकार का जो की जरूरी होता है वह आपको उनके पास नहीं मिलेगा तीसरी सबसे जरूरी चीज यह होती है कि जब आप इसे बहुत सारे चीज डिमांड करने लगते हैं तो यह आपसे चढ़ने लगते हैं बातों को गोल-गोल घूमने लगते हैं जब बातें घूमने नहीं लगती है तो आपसे यह अभद्र भाषा का उपयोग करने लगते हैं तो इसका सीधा सा मतलब यह है कि कभी भी कोई भी कंपनी जो कि संवैधानिक रूप से रजिस्टर्ड है वहां पर वहां पर मौजूद एंप्लॉई को यह जरूर समझाया और यही यह जरूर ट्रेनिंग दी जाती है कि आपको किसी भी दशा में किसी भी ग्राहक से आपको गलत या अभद्र भाषा का उपयोग नहीं करना है आप लगे तो फोन रख सकते हैं काट सकते हैं लेकिन आपको अभद्र भाषा का उपयोग नहीं करना है तो फर्जी कंपनियों के अंदर ऐसी कोई ट्रेनिंग या ऐसी कोई बंधन होते नहीं है इसलिए वह बिना जिसको के आपसे अभद्र भाषा का उपयोग करते हैं तो यह भी आपके लिए बहुत जानना जरूरी होता है
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